part-1 - Gautam Buddha |गौतम बुद्ध
Gautama Buddha ( गौतम बुद्ध)
Gautam Buddha |गौतम बुद्ध |
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नमस्कार दोस्तों मै अनिल बहुगुणा आपके सामने part-1 - Gautam Buddha |गौतम बुद्ध की विशेष परीक्षा उपयोगी जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ उम्मीद है कि आप को पसंद आएगी यह सभी प्रशन परीक्षा में आये तो कृपया सभी प्रशनों को धयान पूर्वक पढ़ने की तथा अच्छे से उसे याद करने की कोशिस करें यह १०० % आगामी परीक्षाओं में आपकी सहायता भी करेगी जो इस प्रकार है।
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गौतम बुद्ध
बौद्ध धर्म के संस्थपक- गौतम बुद्ध
एशिया का ज्योति पुंज- गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध से संबंधित प्रतिक
जन्म - कमल एवं सांड
गृहत्याग- घोड़ा
ज्ञान-पीपल
निर्वाण-पद-चिह
गौतम बुद्ध का जन्म ईसा से -563
जब कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी अपने मायके जा रही थीं तो रास्ते में लुम्बिनी के वन में हुआ।
यह स्थान नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई स्थान है।
गौतम बुद्ध के जन्म से सात दिन बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया।
जब कपिलवस्तु की महारानी महामाया देवी अपने मायके जा रही थीं तो रास्ते में लुम्बिनी के वन में हुआ।
यह स्थान नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम में रुक्मिनदेई स्थान है।
गौतम बुद्ध के जन्म से सात दिन बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया।
स्थान- नेपाल के तराई क्षेत्र में कपिलवस्तु और देवदह के बीच नौतनवा स्टेशन से 8 मील दूर पश्चिम लुंबनी में है।
मृत्यु – 483 ईसा पूर्व कुशीनगर, भारत
गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ई. पूर्व कुशीनाग में हुई थी, उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष थी बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे महापरिनिर्वाण कहते हैं।
लेकिन उनकी मृत्यु के मत में बौद्ध बुद्धिजीवी और इतिहासकारों में एकमत नहीं हैं।
मान्यता यह भी है कि महात्मा बुद्ध को एक व्यक्ति ने मीठे चावल और रोटी खाने को दिए थे मीठा चावल खाने के बाद उनके पेट में दर्द हुआ और उसके बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
गौतम बुद्ध की मृत्यु 483 ई. पूर्व कुशीनाग में हुई थी, उस समय उनकी उम्र 80 वर्ष थी बौद्ध धर्म के अनुयायी इसे महापरिनिर्वाण कहते हैं।
लेकिन उनकी मृत्यु के मत में बौद्ध बुद्धिजीवी और इतिहासकारों में एकमत नहीं हैं।
मान्यता यह भी है कि महात्मा बुद्ध को एक व्यक्ति ने मीठे चावल और रोटी खाने को दिए थे मीठा चावल खाने के बाद उनके पेट में दर्द हुआ और उसके बाद में उनकी मृत्यु हो गई।
शादी – राजकुमारी यशोधरा
मात्र 16 साल की छोटी उम्र में महात्मा बुद्ध की शादी राजकुमारी यशोधरा से हो गई थी।
मात्र 16 साल की छोटी उम्र में महात्मा बुद्ध की शादी राजकुमारी यशोधरा से हो गई थी।
बच्चें – एक पुत्र राहुल
पिता का नाम – शुु्धोधन (एक राजा और कुशल शासक)
माता का नाम – महारानी माया देवी
पालन पोषण- उनकी मौसी गौतमी ने किया
पालन पोषण- उनकी मौसी गौतमी ने किया
बौद्ध धर्म की स्थापना – चौथी शताब्दी
क्लिक -भारत शासन अधिनियम 1935
बौद्ध साहित्य-
बौद्ध ग्रंथ पाली में हैं बौद्ध धर्म के बारे में विशद ज्ञान त्रिपिटक से प्राप्त होता है।
विनय पिटक - बौद्ध मठों में अनुशासन के नियम।
सुत्त पिटक - सबसे बड़ा, बुद्ध के उपदेश का संग्रह है।
अभिधम्मपिटक- बौद्ध धर्म के दार्शनिक सिद्धांतों की व्याख्या।
क्लिक -भारत शासन अधिनियम 1935
बौद्ध साहित्य-
बौद्ध ग्रंथ पाली में हैं बौद्ध धर्म के बारे में विशद ज्ञान त्रिपिटक से प्राप्त होता है।
विनय पिटक - बौद्ध मठों में अनुशासन के नियम।
सुत्त पिटक - सबसे बड़ा, बुद्ध के उपदेश का संग्रह है।
अभिधम्मपिटक- बौद्ध धर्म के दार्शनिक सिद्धांतों की व्याख्या।
Gautama Buddha ( गौतम बुद्ध) का प्रकृति के प्रति प्रेम
एक समय की बात है सिद्धार्थ को जंगल में किसी शिकारी द्वारा तीर से घायल किया हंस मिला। उन्होंने उसे उठाकर तीर निकाला, और उसे सहलाया और पानी पिलाया। उसी समय सिद्धार्थ का चचेरा भाई देवदत्त वहां आया और कहने लगा कि यह शिकार मेरा है, मुझे दे दो। पर सिद्धार्थ ने हंस देने से मना कर दिया और कहा कि-तुम तो इस हंस को मार रहे थे।
मैंने इसको बचाया है।
अब तुम्हीं बताओ कि इस पर मारने वाले का हक होना चाहिए कि बचाने वाले का?
देवदत्त ने सिद्धार्थ के पिता राजा शुद्धोदन से इस बात की शिकायत की। शुद्धोदन ने सिद्धार्थ से कहा कि यह हंस तुम देवदत्त को क्यों नहीं दे देते? आखिर तीर तो उसी ने चलाया था?
इस पर सिद्धार्थ ने कहा- पिताजी! यह तो बताइए कि आकाश में उड़ने वाले इस बेकसूर हंस पर तीर चलाने का उसे क्या अधिकार था? इस हंस ने देवदत्त का क्या बिगाड़ा था? फिर उसने इस तीर क्यों चलाया? क्यों इसे घायल किया? मुझसे इस प्राणी का दुख मेरे से देखा नहीं गया। इसलिए मैंने तीर निकाल कर इसकी सेवा की। इसके प्राण बचाए। हक तो इस पर मेरा ही होना चाहिए।
राजा शुद्धोदन को सिद्धार्थ की बात जंच गई। उन्होंने कहा कि ठीक है तुम्हारा कहना। मारने वाले से बचाने वाला ही बड़ा है। इस पर तुम्हारा ही हक है।
मैंने इसको बचाया है।
अब तुम्हीं बताओ कि इस पर मारने वाले का हक होना चाहिए कि बचाने वाले का?
देवदत्त ने सिद्धार्थ के पिता राजा शुद्धोदन से इस बात की शिकायत की। शुद्धोदन ने सिद्धार्थ से कहा कि यह हंस तुम देवदत्त को क्यों नहीं दे देते? आखिर तीर तो उसी ने चलाया था?
इस पर सिद्धार्थ ने कहा- पिताजी! यह तो बताइए कि आकाश में उड़ने वाले इस बेकसूर हंस पर तीर चलाने का उसे क्या अधिकार था? इस हंस ने देवदत्त का क्या बिगाड़ा था? फिर उसने इस तीर क्यों चलाया? क्यों इसे घायल किया? मुझसे इस प्राणी का दुख मेरे से देखा नहीं गया। इसलिए मैंने तीर निकाल कर इसकी सेवा की। इसके प्राण बचाए। हक तो इस पर मेरा ही होना चाहिए।
राजा शुद्धोदन को सिद्धार्थ की बात जंच गई। उन्होंने कहा कि ठीक है तुम्हारा कहना। मारने वाले से बचाने वाला ही बड़ा है। इस पर तुम्हारा ही हक है।
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Gautama Buddha ( गौतम बुद्ध) के जीवन के सफल मन्त्र👇👇
- गुस्सा एक हानिकारक हथियार हैं – गुस्सा अपने दुश्मनों की हत्या करने के साथ-साथ आपकी भी हत्या करता हैं जब आप बहुत ज्यादा गुस्से में होते हैं तब आपके शब्द ही आपको धोखा देते हैं।
- आपको कभी अपने गुस्से के लिये सजा नहीं दी जाती बल्कि आपको अपने गुस्से द्वारा ही सजा दी जाती हैं।
- हमारे विचारों द्वारा ही हमारी बढाई की जाती हैं। हम वही बनते हैं जैसा हम सोचते हैं, जब आपका दिमाग साफ रहेगा. तब खुशिया आपके साथ आपकी परछाई बनकर हमेशा साथ रहेगीं।
- जब आपको कोई फूल पसंद आता हैं तो आप उसे तोड़ लेते हो लेकिन जब आप किसी फूल से प्यार करते हो तो आप उसे हर रोज पानी देते हो।
- बूंद-बूंद से पानी का घड़ा भरता है.
- किसी छोटे काम की शुरुआत करना किसी बड़े काम को अंत देने की शुरुआत हैं. यह कोई मायने नहीं रखता की आपने शुरुआत छोटे से की या बड़े से यदि आप उस शुरुआत को अंत तक ले जाते हो तो आप एक दिन वो सबकुछ हासिल कर सकेंगे जो आप चाहोगे।
निवेदन - प्रिय मित्रों आपको हिंदी में भगवान गौतम बुद्ध के बारे में सभी परीक्षा उपयोगी जानकारी पर ये आर्टिकल कैसा लगा हमे अपना कमेंट करे और हमारी साईट के बारे में अपने दोस्तों को जरुर बताये
धन्यवाद.....
part-1 - Gautam Buddha |गौतम बुद्ध
Reviewed by Abgkguru
on
नवंबर 13, 2018
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