भारत का संवैधानिक विकास का इतिहास–Constitutional Development of India
भारत का संवैधानिक विकास का इतिहास–Constitutional Development of India
नमस्कार दोस्तों मै अनिल बहुगुणा आपके सामने भारत का संवैधानिक विकास का इतिहास–Constitutional Development of India की विशेष परीक्षा उपयोगी जानकारी आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ उम्मीद है कि आप को पसंद आएगी और आगामी परीक्षाओं में आपकी सहायता भी करेगी जो इस प्रकार है।
सविधान किसी भी देश की राजनैतिक तथा आर्थिक व्यवस्था एवं बुनयादी ढांचा स्थापित करता है। तथा उस देश की सभी कार्यों जैसे विधायिका न्यायपालिका कार्यपालिका स्थापना तथा उनके दायित्वों की सीमा निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जनता के सांथ समन्वय में सहायक होता है एवं वह जनता की सामाजिक, राजनितिक, आर्थिक आकांशाओ पर आधारित होता है।
सवैंधानिक विकास Constitutional Development हमें इसके प्रारम्भ से अभी तक के इतिहास के बारे में ज्ञान कराएगा।
भारत का संवैधानिक विकास का इतिहास–Constitutional Development of India |
भारत का संवैधानिक विकास का इतिहास–Constitutional Development of India
भारत के संवैधानिक विकास के इतिहास को हम दो भागों में विभक्त करते हैं
1-ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के अंतर्गत
2- ब्रिटेन की सरकार के शासन के अंतर्गत
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1600 ईसवी का राजलेख-
भारत में संवैधानिक इतिहास ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना के साथ प्रारंभ होता है।
महारानी एलिजाबेथ प्रथम ने 31 दिसंबर 1600 को ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कर उसे पूर्वी देशों में 15 वर्षों तक व्यापार करने का अधिकार प्रदान किया।
- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना किस चार्टर एक्ट के तहत किया गया है- 1600ईसवी के चार्टर एक्ट के तहत
- महारानी एलिजाबेथ ने ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना कर किसकी अध्यक्षता में पूर्वी देशों में व्यापार करने की आज्ञा को प्रदान किया था- लॉर्ड मेयर
- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना कार्य कहां प्रारंभ किया- सूरत में
- आंग्ल भारतीय विधि संहिताओं के निर्माण एवं विकास की नीव कहां से प्रारंभ होती है-1600 के चार्टर एक्ट से
1726 का राजलेख - इस राजलेख द्वारा कोलकाता मुंबई मद्रास प्रेसिडेंसीओं के राज्यपालों तथा उनकी परिषद को विधि बनाने की शक्ति प्रदान की गई।
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट-
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट |
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- 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट के समय ब्रिटिश का प्रधानमंत्री कौन था- लॉर्ड नॉर्थ
- कौन से अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जनरल का पद दिया गया- 1773
- 1773 अधिनियम के अंतर्गत बनने वाला प्रथम गवर्नर जनरल कौन थे- लॉर्ड वारेन हेस्टिंग थे
- कोलकाता में एक उच्च न्यायालय की स्थापना की गई -1773 के अधिनियम के तहत
- 1774 में प्रथम मुख्य न्यायाधीश कौन थे- सर एलिजाह इंपे
- कंपनी के कर्मचारियों को भारतीय लोगों से उपहार व रिश्वत लेना प्रतिबंध कर दिया गया-1773 के अधिनियम के तहत
- कर्मचारियों को बिना लाइसेंस प्राप्त किए व्यापार को प्रतिबंधित कर दिया गया- 1773 के अधिनियम के तहत।
एक्ट ऑफ सेटलमेंट 1781
- रेगुलेटिंग एक्ट की कमियों को दूर करने के लिए इस एक्ट का प्रावधान किया गया।
- एक्ट के तहत कोलकाता की सरकार को बंगाल बिहार उड़ीसा के लिए विधि बनाने का प्राधिकार प्रदान किया गया- एक्ट ऑफ सेटलमेंट 1781 के द्वारा
- सर्वोच्च न्यायालय की राजस्व अधिकारीता को किस एक्ट द्वारा समाप्त किया गया-1781 के सेटलमेंट एक्ट द्वारा
पिट्स इंडिया एक्ट 1784
- अधिनियम द्वारा कंपनी की व्यापारिक एवं राजनीतिक कार्यों को एक दूसरे से पृथक कर दिया गया।
- किस एक्ट द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ-1784 का पिट्स इंडिया एक्ट द्वारा
- 1- बोर्ड ऑफ डायरेक्टर व्यापारी मामले के लिए
- 2- बोर्ड ऑफ कंट्रोल राजनीतिक मामलों के लिए
1793 ई० का राजलेख-
- किस अधिनियम के तहत नियंत्रण मंडल के सदस्यों को भारतीय राज्य से से वेतन देने का प्रावधान किया गया-1793 का राजलेख द्वारा
- किस अधिनियम अधिनियम के तहत कंपनी के अधिकारों को 20 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया- 1793 का चार्टर एक्ट के तहत
1813 ई० का चार्टर अधिनियम
- कंपनी के भारत के साथ व्यापार करने के एकाधिकार को किस अधिनियम के तहत छीना गया-1813 का चार्टर अधिनियम के तहत
- चीन के साथ व्यापार और चाय के व्यापार के एकाधिकार को बनाए रखा गया।
- ईसाई मिशनरियों को भारत में धर्म प्रचार की आज्ञा दी गई।
- भारतीयों की शिक्षा पर प्रतिवर्ष ₹100000 खर्च करने का उपबंध किया गया।
1833 ई० का चार्टर अधिनियम
- भारत में संविधान निर्माण का आंशिक संकेत 1833 के चार्टर अधिनियम में दिखाई देता है ।
- बंगाल के गवर्नर जनरल को संपूर्ण भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया।
- इस अधिनियम द्वारा देश की शासन प्रणाली का केंद्रीकरण कर दिया गया।
- गवर्नर जनरल को संपूर्ण देश के लिए एक ही बजट तैयार करने का अधिकार दिया गया-1833 के अधिनियम में
- किसकी अध्यक्षता में प्रथम विधि आयोग का गठन किया गया- लॉर्ड मेकाले की
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1853 ई० का चार्टर अधिनियम
- महत्वपूर्ण पदों को प्रतियोगी परीक्षाओं के आधार पर भरने की व्यवस्था की गई।
- विधि सदस्य को कब गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी का पूर्ण सदस्य बना दिया गया था-1853 में
- मैकाले समिति की नियुक्ति कब की गई-1854 ईसवी में।
भारत सरकार अधिनियम 1858
- भारत का शासन कंपनी से लेकर ब्रिटिश क्रॉउन के हाथों में सौंपा गया।
- भारत में मंत्री पद की व्यवस्था की गई।
- 15 सदस्यों की भारत परिषद का सृजन हुआ।
- मुगल सम्राट के पद को समाप्त कर दिया गया।
- इस अधिनियम के द्वारा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तथा बोर्ड ऑफ कंट्रोल के पद को समाप्त कर दिया गया।
- भारत में शासन संचालन के लिए ब्रिटिश मंत्रिमंडल में एक सदस्य के रूप में भारत के राज्य सचिव की नियुक्ति की गई।
- भारत के गवर्नर जनरल का नाम बदलकर वायसराय कर दिया गया लार्ड कैनिन अंतिम गवर्नर जनरल एवं प्रथम वायसराय हुए।
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निवेदन - प्रिय मित्रों आपको हिंदी में भारत का संवैधानिक विकास का इतिहास–Constitutional Development of India से संबंधित परीक्षा उपयोगी जानकारी पर ये आर्टिकल कैसा लगा हमे अपना कमेंट करे और हमारी साईट के बारे में अपने दोस्तों को जरुर बताने की कृपा करें।
धन्यवाद.....
भारत का संवैधानिक विकास का इतिहास–Constitutional Development of India
Reviewed by Abgkguru
on
दिसंबर 07, 2018
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